Sunday 20 November 2016

युवकों की आम यौन समस्यायें




लड़कों की सबसे बड़ी समस्या हस्त-मैथुन को लेकर है, लिंग में कड़ापन आना, उसका बड़ा होना, आपके पौरुष की निशानी है, यदि ऐसा होता है, तो आप एक पूर्ण आनन्द भरा सेक्स करने में सक्षम पुरुष हैं।
लिंग में कड़ापन सुबह के समय सबसे ज्यादा होता है, यह अपने आप होता है, इस पर तुम्हारा कोई ज़ोर नहीं है, और ऐसे समय जब हम लिंग को छूते है तो बहुत ही आनन्दमयी अहसास होता है। यही अहसास आगे चल के हस्तमैथुन की आदत बन जाता है।
चलिए अब मैं लड़कों की उन सभी यौन समस्याओं पर आता हूँ जो उन्होंने मुझे मेल की, और विवाहित लड़कियाँ भी ध्यान दें जिन्होंने अपने पति की यौन समस्याओ के बारे में मुझे लिखा है।
1- लिंग का आकार
आकार से फर्क पड़ता है या नहीं? इसके वैज्ञानिक पहलू पर मत जाइए, रायता फैल जाएगा। लाखों-करोड़ों आदमियों के लिए यह सवाल है तो है। मर्द तो यहाँ तक सोचते हैं कि अगर बड़ा तो कितना बड़ा? क्या मेरा इतना बड़ा है, जिससे मेरी पार्टनर खुश हो सकेगी? मतलब आकार को
लेकर मानसिक स्तर पर समस्या तो है भाई…
लिंग का आकार मापने का तरीका:
पूर्ण उत्थित लिंग को मापने के लिए इसके जड़ से लेकर अग्रभाग तक की लंबाई का ध्यान रखें। सामान्य अवस्था में लिंग को नापने के लिए कपड़े उतारने के तुरंत बाद के समय का ध्यान रखें, तापमान, ध्यान में भटकाव आदि के कारण आकार में फर्क पर सकता है।
सामान्य अवस्था में लिंग-आकार से न हों परेशान
कभी भी अपने सामान्य लिंग-आकार को लेकर दुविधा में न रहें। क्योंकि यही खड़ा होकर अपना आकार बदल लेता है और आपको आत्मविश्वास भी देता है।
लिंग-आकार पर इनका असर
उत्तेजना का समय, कमरे का तापमान, दिन या रात और उसमें भी कब, सेक्सुअल फ़्रीक्वेंसी जैसी कुछ चीजों पर निर्भर करता है आपके लिंग का आकार।
औसतन लिंग-आकार
खड़े मानव लिंग का औसत आकार 6 इंच तक होता है। जबकि सामान्य अवस्था में यह 2 से 4 इंच तक औसतन हो सकता है।
और भारत जैसे देश में खड़े लिंग का साइज़ 3.5 से 5.5 इंच तक होता है। उत्तेजना के समय अगर आपका लिंग 3 इंच से बड़ा है तो समझिए यह सामान्य है और यह आप की पार्टनर को संतुष्ट करने में सक्षम है।
क्योंकि लड़कियों को सम्भोग में संतुष्टि तब ज्यादा मिलती है जब आपका लिंग उनके उत्तेज़क दाने क्लाइटोरस, ज़ी स्पॉट या को रगड़ देता हुआ योनि में अंदर बाहर होता है, और फिर ये भी तो सोचो कि जब लड़कियाँ अपनी उंगली से ही हस्तमैथुन करके उत्तेजना की चरम अवस्था के बाद परम आनन्द की अवस्था में पहुँच जाती हैं और स्खलित हो जाती हैं तो किसी भी आकार का लिंग हो, वो लड़कियों की उंगली से तो बड़ा ही होता है।
योनि में केवल तीन इंच की गहराई तक ही संवेदन या आनन्द महसूस करने वाले तन्तु होते हैं।
किन लोगों के पास है बड़ा लिंग?
इस दुनिया में सिर्फ 5000 लोग ऐसे हैं जिनका लिंग 11 इंच लंबा है और ये सब असामान्य की श्रेणी में आते हैं, सेक्स संतुष्टि देने में इनका कोई जिक्र नहीं है।
वैसे जीवों में सबसे बड़े लिंग की बात करें तो एक वयस्क हाथी का लिंग लगभग 6 फीट तक का हो सकता है और वो सबसे कम सेक्स कर पाता है।
इस लिए आइन्दा लिंग के आकार को लेकर कोई चिंता ना करें, एक्सपर्ट्स तो यहाँ तक कहते हैं कि लिंग कितना भी छोटा क्यों न हो, वह महिला की योनि का घर्षण करने में सक्षम होता है इसलिए अपनी पार्टनर को खुश करने के लिए आकार का लोचा दिमाग से निकाल दें और फोरप्ले, पोजिशंस, मूवमेंट्स आदि पर ध्यान दें।
क्वांटिटी से ज्यादा क्वालिटी जरूरी होती है, यह बात हमेशा ध्यान रखिए।
2- लिंग का टेढ़ापन (इरेक्ट ऐंगल)
आपने गौर किया होगा कि उत्तेजना की अवस्था में आपका लिंग एक तरफ (आम
तौर पर बाईं ओर) थोड़ा झुका रहता है। बढ़िया और मस्त सेक्सुअल इंटरकोर्स के लिए यह जो ऐंगल है, वह 106.8 डिग्री है। और लिंग टेढ़ा हो तब भी लिंग और योनि दोनों ही अपने आप को एडजस्ट कर लेते
हैं, यह कोई समस्या नहीं है।

3- स्वप्नदोष
पहली बात तो यह कि यह कोई दोष नहीं है, मर्द ज़ात के शरीर में वीर्य भी निरंतर बनता रहता है और जैसे यौवन आने पर लड़कियों में मासिक धर्म आना जरूरी होता है, उस पर लड़कियों का कोई ज़ोर नहीं होता है, ऐसे ही लड़कों में इरेक्शन होना सामान्य है।
औसतन एक मर्द को 24 घंटे में 11 बार इरेक्शन होता है, जिसमें 9 बार नींद में होता है।
नींद में यदि लिंग को बिस्तर आदि की रगड़ लग जाए या फिर कोई सेक्स स्टोरी या किसी लड़की को लेकर कामुक स्वप्न आ जाये तो वीर्य स्खलित हो जाता है, रात में अंडरवियर खराब होना किसी को अच्छा नहीं लगता लेकिन यह कोई रोग नहीं है तो इसका पूरा पूरा कोई इलाज़ नहीं है, यह उन लोगों को कम होता है जो हस्त-मैथुन करके वीर्य स्खलित करते रहते हैं।
सोने से पहले यदि उत्तेजक ख्यालों, ब्लू फिल्म्स, आदि से दूर रहा जाए तो स्वप्न दोष से बचा जा सकता है।
4- हस्तमैथुन
इसके बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है और यह बहुत सामान्य प्रक्रिया है जो मानव जीवन के आरम्भ से ही पुरुष करता रहा है, न सिर्फ लड़कों में बल्कि लड़कियों में भी, और जो भी इसे करते हैं, वे इसे गलत मानते है लेकिन इसे छोड़ नहीं पाते हैं।
अगर हस्त मैथुन लिमिट में ( सप्ताह में 3-4 बार) किया जाये तो कोई समस्या नहीं है बल्कि फायदेमंद है क्योंकि हस्तमैथुन में स्खलित होने के तुरंत बाद काम भावना शून्य हो जाती है, दिमाग और मन संतुष्ट होकर तरोताजा हो जाता है तो पढ़ाई व अन्य कार्यों में अच्छा ध्यान लगता है।
हस्तमैथुन में स्खलित होते ही लड़का लड़की कसम खाते हैं कि आइन्दा नहीं करेंगे,
यह गलत है लेकिन 1-2 दिन निकलते ही फिर शुरू हो जाते हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है।
लड़कियों में हस्त-मैथुन को लेकर मैंने अपने पिछले लेख में सब कुछ लिख ही दिया है।
मेरे पास ऐसे बहुत से लड़कों के मेल आये हैं, जिन्होंने लिखा कि वे रोज़ करते हैं, दिन में एक से ज्यादा बार भी करते हैं, यह सच में चिंता का विषय है, और यह गलत भी है क्योंकि ‘अति स्रर्वत्र वर्जयेत’ यानि अति सदा हर जगह निषिद्ध है यानि अति हर चीज़ की बुरी होती है।’
और रोज़ रोज़ करने से इस काम का मज़ा भी तो धीरे धीरे कम होता जाएगा।
और दोस्तो, याद रखो हर एक लिंग के लिए एक योनि बनी है, इस लिए अपने आपको सम्भोग के लिए सक्षम बनाये रखना बहुत ज़रूरी है, जरूरत से ज्यादा हस्तमैथुन किया तो फिर अपनी पार्टनर के आगे शर्मिन्दा होना पड़ सकता है, और सेक्स में असंतुष्ट लड़की का गुस्सा होना जायज़ भी है, इसलिए हस्त मैथुन को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
इसके लिए हफ्ते में तीन चार दिन करो और उस दिन भरपूर मज़े लेकर करो।

5- शीघ्र पतन
यह सही में एक समस्या है और बढ़ती ही जा रही है। और बहुत से पति-पत्नी के बीच कलह का कारण भी है, यह परेशानी सबके साथ होती है,
** उपाय **
और हाँ एक बात और जो में लिखने जा रहा हूँ ये मेरे अपने तरीके है, हो सकता है आप लोग इस से सहमत न भी हों,
1- जब सेक्स में काफी दिनों का गैप आ जाए जैसा कि अक्सर टूअर पर रहने वाले मर्दों के साथ होता है, तो उन्हें सम्भोग से पहले अच्छे से हस्तमैथुन कर लेना चाहिए, वरना बहुत दिनों बाद नारी से सेक्स शुरू किया और डिस्चार्ज हुआ।
2- सेक्स के दौरान अपने आप को शुरू में ही पूर्ण निर्वस्त्र मत करो, बल्कि नारी को करो और उसे जितना ज्यादा उत्तेजित कर सकते हो वो करो, इसे ही फॉर-प्ले कहते हैं।
और कैसे करो, इस बारे में आप सब को पता होगा, अन्तर्वासना में यह सब आता ही रहता है।
3- अपने लिंग को अनावश्यक नारी के नंगे जिस्म से मत रगड़ो, उसे मुँह में देने से बचो।
4- आपको अपने लिंग के डिस्चार्ज होने का यदि पूर्वाभास हो रहा हो तो तुरंत नारी से अलग हो के बाथरूम में जाकर पेशाब कर आओ, और यदि लिंग उत्तेजना के मारे बहुत ज्यादा तन्ना रहा हो तो उस पर आहिस्ता आहिस्ता एक मग सामान्य पानी डाल लो, इससे वो काफी कुछ नार्मल हो जाएगा।
5- लिंग में कसावट उस की नसों में रक्त भर जाने की वजह से होती है, तो जो लोग कंडोम
काम में लेते हैं उनके लिंग ज्यादा देर तक कड़क रहते हैं क्योंकि कंडोम की रिंग लिंग की जड़ पर कस जाती है, इसके अलावा कंडोम का एक फायदा यह भी रहता है कि वो लिंग की छूने से होने वाली संवेदनशीलता को भी कम कर देता है।
6- नारी की योनि में सम्भोग से पहले नारियल के तेल से अच्छे से मालिश करो और योनि के अंदर तक तेल लगाओ, इससे नारी जबरदस्त उत्तेजित भी हो जायेगी और लिंग को योनि में प्रवेश करते समय होने वाला घर्षण भी काम होगा, क्योंकि इसी घर्षण की वजह से ही शीघ्रपतन से ग्रस्त लोगों का डिस्चार्ज हो जाता है और सम्भोग के समय  लिंग आसानी से अंदर-बाहर होगा और दोनों को ही ज्यादा मज़ा आएगा।
7- सम्भोग का औसत समय 2-5 मिनट का ही होता है, लेकिन यदि आप उत्तेजित होकर ज़ोर शोर से करोगे तो जल्दी भी डिस्चार्ज हो सकता है, और यदि सूझ-बूझ से करोगे तो बढ़ाया भी जा सकता है, जैसे कि सारा ध्यान सिर्फ अपनी संतुष्टि में लगाने के बजाए नारी की संतुष्टि में भी लगाओ, उससे सम्भोग की गति के बारे में पूछो और उसी हिसाब से चुदाई करो।
यहाँ लड़कियों से भी मेरा निवेदन है कि वे सम्भोग के दौरान शांत निर्जीव होकर न पड़ी रहें बल्कि पूरासहयोग करें, अपनी पसंद नापसंद खुल कर बताएं और खुद भी खुल कर सेक्स मूवमेंट करें।
8- सम्भोग का समय बढ़ाने के लिए पुरुष को अपना ध्यान कहीं और डाइवर्ट भी करना चाहिए, इससे भी समय बढ़ जाता है। जैसे कि अपने साथ हुए कभी किसी हादसे या बड़े नुक्सान को याद कर लेना, या कोई जटिल हिसाब किताब सोचने लगना (आपको सुन कर हँसी आएगी लेकिन में ध्यान कहीं और डाइवर्ट करने के लिए 59 का पहाड़ा मन ही मन बोलने की कोशिश करता हूँ।)
9- और लड़कियों को सम्भोग के दौरान जितनी ज्यादा उत्तेजक बातें या फेंटेसी सोच सकें, सोचनी चाहिए।
10- लिंग तो अपना काम योनि के अंदर करता ही है इसके अलावा अपने मुख, दोनों हाथ, दोनों पैरों को भी,
नारी को संतुष्ट करने में लगा देना चाहिए।
11- डिस्चार्ज का पूर्वाभास होने लगे तो चुदाई की स्पीड कम कर दें या कुछ देर रुक जाएँ।
12- सबसे महत्वपूर्ण बात लड़के और लड़कियों दोनों के ही लिए सेक्स कहानियों, ब्लू फिल्म्स में दिखाए गए सम्भोग के समय,  लिंग के आकार से बिल्कुल भी भ्रमित ना हों। चार इंच का लिंग और दो-तीन मिनट का सम्भोग भी आपको पूर्ण सेक्स संतुष्टि दे सकता है।
कुल मिला कर सार यह है कि आप खुद अपने प्रयासों से इस समस्या पर विजय पा सकते हैं।
ऊपर लिखे सभी उपाय सिर्फ उन लोगों के लिए है जो शीघ्र-पतन का शिकार हैं, जो सक्षम है वो जैसे चाहे मज़े करें!
और यदि फिर भी समस्या गंभीर है तो इस विषय के डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि नारी को असंतुष्ट छोड़ देना बिल्कुल भी सही नहीं है।
 (टिप- यह जानकारी सिर्फ संदर्भ के लिये दि गयी कोई भी दवा लेने से पूर्व डॉक्टर कि सलाह आवश्यक है)

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Friday 18 November 2016

महिलाओं की सेक्‍स संबंधी समस्‍याएं और उनका उपचार

पुरुषों के समान महिलाओं की भी सेक्‍स इच्‍छा होती है। अधूरा और सही समय पर संभोग के पूरा न होने पर महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानी होती है। स्त्रियों का सेक्‍स केवल संभोग तक सीमित नहीं होता बल्कि स्पर्श चुंबन आदि से भी उन्‍हें संतुष्टि मिल जाती है। सेक्स का सेंटर दिमाग में होता है। चुंबन स्पर्श या सेक्‍स के ख्‍याल से शरीर में उत्‍तेजना पैदा होती है जिससे पूरे शरीर में खून का बहाव बढ़ जाता है। स्त्री जननांग बेहद संवेदनशील होता है। उत्‍तेजना होते ही स्त्रियों की योनी गीली हो उठती है। जिसे ऑर्गेज्म क्लाइमैक्स या चरम सुख कहा जाता है- वह बेहद कम महिलाओं को नसीब हो पाता है। ऐसा सेक्‍स के प्रति अज्ञानता और पुरुष का सही साथ नहीं मिलने की वजह से होता है। सेक्‍स की वजह से सेक्‍स के दौरान या सेक्‍स के बाद महिलाओं में आने वाली समस्‍याओं को समझ कर उसका समाधान किया जा सकता है।

 कामेच्छा में कमी- बहुत-सी महिलाओं को सेक्स की चाहत ही नहीं होती। अगर वे पार्टनर के कहने पर तैयार होती हैं तो भी बिल्कुल ऐक्टिव नहीं हो पातीं। बस अपनी ड्यूटी समझकर काम निबटा देती हैं। बच्चे होने के बाद यह समस्या ज्यादा होती है।
वजह : डिप्रेशन थकान या तनाव की वजह से यह दिक्कत हो सकती है। कई बार बचपन की किसी बुरी घटना की वजह से भी सेक्स में दिलचस्पी खत्म हो जाती है। इसके अलावा कुछ और वजहें भी सकती हैं मसलन पार्टनर जिस तरह छूता है वह पसंद नहीं आना, उसके शरीर की महक नापसंद होना, उसे बहुत ज्यादा पसीना आना, उसके मुंह से पान-तंबाकू वगैरह की बदबू आना आदि। कई महिलाओं को शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हाथ लगाने से दर्द महसूस होता है या अच्छा नहीं लगता। इससे भी वे सेक्स से बचने लगती हैं।
इलाज : पार्टनर को सबसे पहले यह समझना चाहिए कि साथी महिला को क्या पसंद है और क्या नापसंद। उसी के मुताबिक आगे बढ़ना चाहिए। फोर प्ले में ज्यादा वक्त बिताना चाहिए। इससे महिला मानसिक और शारीरिक रूप से संभोग के लिए तैयार हो जाती है। जब एक्साइटमेंट ज्यादा हो तभी आगे बढ़ना चाहिए। अगर डिप्रेशन की वजह से दिक्कत है तो पहले उसका इलाज कराएं। डिप्रेशन से मुक्त होने पर हीकामेच्छा जागेगी।
सेंसेट फोकस एक्सरसाइज या प्लेजरिंग सेशन से काफी फायदा हो सकता है। इस सेशन में स्पर्श पर सारा फोकस होता है और सहवास की मनाही होती है। इसका तरीका यह है कि बारी-बारी से स्त्री व पुरुष एक-दूसरे को प्यार से सहलाएं और एक-दूसरे के शरीर पर उत्तेजना केंद्र खोजें। दोनों एक-दूसरे को बताएं कि उन्हें कहां अच्छा लगता है। इससे महिलाओं की झिझक भी कम होती है। साथ ही परफॉर्मेंस का प्रेशर नहीं होता। वे कपल जिन्हें कोई दिक्कत नहीं है वे भी तीन-चारमहीनों में अगर एक हफ्ते इस सेशन को करें और सहवास से परहेज रखें तो सेक्सलाइफ को ज्यादा इंजॉय कर सकते हैं।


लुब्रिकेशन की कमी- स्त्री जनन अंग में लुब्रिकेशन (गीलापन) को उत्तेजना का पैमाना माना जाता है। कुछ महिलाओं को इसमें कमी की शिकायत होती है। ऐसे में सहवास काफी तकलीफदेह हो जाता है।
वजह : लुब्रिकेशन में कमी तीन वजहों से हो सकती है। इन्फेक्शन, हार्मोंस में गड़बड़ी या फिर सही तरीके से फोर प्ले न होना। अगर जनन अंग में खुजली हो, खून आता हो, कपड़े पर धब्बे पड़ जाते हों या बहुत बदबू आती हो तो इन्फेक्शन हो सकता है। हार्मोंस में गड़बड़ी यानी एस्ट्रोजन की कमी आमतौर पर मीनोपॉज के बाद ज्यादा होती है। पार्टनर का महिला की जरूरत न समझ पाना या फोर प्ले मेंज्यादा वक्त न गुजारना भी इसकी वजह हो सकती है।
इलाज : अगर इन्फेक्शन है या हॉर्मोंस में गड़बड़ी है तो फौरन अच्छे डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराएं। हॉर्मोंस वाली दिक्कत अक्सर मरीज को खुद पता नहीं लगती। डॉक्टर जांच के बाद इसका पता लगा पाते हैं। तीसरी वजह है तो पार्टनर से बातचीत और समझ से प्रॉब्लम दूर की जा सकती है। पार्टनर को फोरप्ले में ज्यादा वक्त देना चाहिए क्योंकि यह बहुत अहम होता है। इसी से सेक्स को सही ढंग सेइंजॉय किया जा सकता है।


सहवास में दर्द- कुछ महिलाओं को सहवास के दौरान दर्द होता है। कई बार यह दर्द बहुत ज्यादा होता है और ऐसे में महिला सेक्स से बचने लगती है। साथी को इस दर्द का अहसास नहीं होता। उसे लगता है कि साथी महिला उसे सहयोग नहीं दे रही। यह दोनों के बीच झगड़े की वजह बनता है। इस प्रॉब्लम को डिस्परयूनिया (पेनफुल इंटरकोर्स) कहा जाता है। अगर पूरे इलाज या सलाह के बिना संबंध बनाने की कोशिश की जाती है तो प्रॉब्लम और बढ़ जाती है।
वजह : संबंध बनाते वक्त दर्द की वजह लुब्रिकेशन में कमी या सही ढंग से फोर प्ले न होना हो सकता है। कई बार इन्फेक्शन या एंडोमेट्रियोसिस यानी ओवरी में ब्लड जमा होने पर यह प्रॉब्लम हो सकती है। एंडोमेट्रियोसिस के लिए हॉर्मोन थेरपी या फिर जरूरत पड़ने पर लेप्रोस्कोपी भी की जाती है।


 वैजिनिस्मस : वैजिनिस्मस का मतलब है किसी बाहरी चीज के स्त्री जनन अंग में जाने का डर। इसमें संभोग की कोशिश या संभावना का आभास मिलते ही महिला जनन अंग के बाहरी एक-तिहाई हिस्से में अनैच्छिक संकुचन आ जाता है। इससे समागम नहीं हो पाता और साथी अगर जबरन कोशिश करता है तो दिक्कत और दर्द दोनों बढ़ जाते हैं।
वजह : इसके मानसिक कारण होते हैं - जैसे कि कई बार महिला के मन में सहवास को लेकर डर बैठ जाता है कि इस दौरान काफी दर्द होता है। इसके अलावा किसी तरह की जोर-जबरदस्ती सेक्स को पाप या गलत समझने और अपने जननांगों को गंदे या बदबूदार मानने की भावना से भी यह परेशानी हो सकती है।
इलाज : इस परेशानी की कोई दवा या सर्जरी नहीं होती। यह मानसिक बीमारी है और इसे काउंसलिंग से बहुत हद तक सुधारा जा सकता है। पीड़ित महिला के मन से सेक्स संबंधी डर दूर किया जाता है। उसे समझाया जाता है कि जनन अंग इलास्टिक की तरह होता है जो जरूरत के मुताबिक बढ़ जाता है। इससे उसके दिमाग से काफी हद तक फिक्र निकल जाती है और वह मानसिक तौर पर राहत महसूस करने लगती है। इसके बाद एक खास थेरपी के जरिए जनन अंग को धीरे-धीरे बाहरी चीज के टच के प्रति सहज किया जाता है। फिर डाइलेटर की मदद से ज्यादा जगह बनाई जाती है। इसके लिए कीजल एक्सरसाइज भी की जा सकती है। इसका तरीका यह है कि महिला पेशाब को रोके और छोड़ दे। फिर रोके, फिर छोड़ दे। इस तरह जनन अंग पर उसका कंट्रोल बढ़ जाता है।
सलाह : डॉक्टर कहते हैं कि संबंध कायम करने के दौरान प्रवेश का काम औरत को ही करना चाहिए क्योंकि उसे ही मालूम है कि वह कब तैयार है। ऐसे में उसे संबंध के दौरान दर्द नहीं झेलना पड़ेगा।


क्लाइमैक्स न होना या देर से होना- महिलाओं में यह शिकायत आम है कि उनका पार्टनर उन्हें संतुष्ट किए बिना ही छोड़ देता है। कुछ को ऑर्गेज्म (क्लाइमैक्स) नहीं होता और कुछ को होता है पर महसूस नहीं होता। कुछ महिलाओं को लुब्रिकेशन के दौरान ही जल्दी क्लाइमैक्स हो जाता है। कुछ को बहुत देर से क्लाइमैक्स होता है। असल में क्लाइमैक्स के दौरान महिला को अपने जनन अंग में लयात्मक संकुचन महसूस होता है और फिर मन एकदम शांत हो जाता है। लेकिन लयात्मक संकुचन 10 में से 8 महिलाओं को ही होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि बाकी दो को क्लाइमैक्स नहीं होता। उन्हें भी क्लाइमैक्स होता है बस अहसास नहीं होता। वैसे कुछमहिलाओं में पुरुषों की प्रीमैच्योर इजाकुलेशन की तरह शीघ्र क्लाइमैक्स होता है।
वजह : इस समस्या की वजह महिला खुद और साथी दोनों हो सकते हैं। आमतौर पर महिलाओं को लगता है कि अपने पार्टनर को संतुष्ट करना ही उसकी जिम्मेदारी है। इस सोच की वजह से वह अपनी इच्छा बता नहीं पाती। दूसरी ओर पुरुष भी कई बार खुद संतुष्ट होने के बाद महिला साथी के बारे में सोचता ही नहीं है।
इलाज : महिला अपनी झिझक खत्म करे और साथी को बताए कि वह संतुष्ट हुई या नहीं। ऐसे मुकाम पर पहुंचना जरूरी है जहां पूरी तरह संतुष्टि महसूस हो। पुरुष को अपनी पार्टनर की इच्छा समझनी चाहिए। वैसे भी कहा जाता है कि उत्तम पुरुष वह है जो महिला के कहे बिना ही उसकी बात समझ कर उसे संतुष्ट करे। मध्यम पुरुष वह है जो कहने पर उसे संतुष्ट करे और अधम पुरुष वह है जो कहने के बावजूद उसे असंतुष्ट छोड़ दे।


 मीनोपॉज- आमतौर पर मीनोपॉज हो जाने पर कुछ महिलाओं में सेक्स की इच्छा काफी घट जाती है। लुब्रिकेशन भी कम हो जाता है। इससे संबंध बनाते हुए तकलीफ होती है। जाहिर है महिला इससे बचने की कोशिश करने लगती है।
वजह : हॉर्मोंस में बदलाव की वजह से ऐसा होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में सेक्स हॉर्मोन का लेवल काफी कम हो जाता है।
इलाज : फोर-प्ले में ज्यादा वक्त बिताएं। इससे नेचरल लुब्रिकेशन होता है। जरूरत पड़े तो बाहरी लुब्रिकेशन का इस्तेमाल करें। नारियल तेल अच्छा ऑप्शन हो सकता है। जरूरत पड़ने एस्ट्रोजन क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं। मीनोपॉज हो जाने पर ऐसी डाइट लें जिसमें एस्ट्रोजन ज्यादा हो जैसे सोयाबीन, हरी सब्जियां, उड़द,राजमा आदि। डॉक्टर की सलाह पर सिंथेटिक एस्ट्रोजन की गोलियां भी ले सकती हैं।


 पीरियड्स के दौरान सेक्स- अगर दोनों को इच्छा हो तो पीरियड्स के दौरान भी सेक्स कर सकते हैं बल्कि कुछ लोग तो इसे ज्यादा सेफ मानते हैं क्योंकि इस दौरान प्रेग्नेंसी के चांस नहीं होते। साथ हीपहले से ही गीलापन होने से आसानी भी होती है।लेकिन कुछ लोग इसे हाइजिनिक नहीं मानते। ऐसे में कॉन्डोम का इस्तेमाल बेहतर है।


मास्टरबेशन- पुरुषों की तरह महिलाएं भी खुद को संतुष्ट करने के लिए मास्टरबेशन करती हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक करीब 50 फीसदी महिलाएं ऐसा करती हैं। इसका कोई नुकसान नहीं है बल्कि एक्सपर्ट्स इसे बेहतर ही मानते हैं क्योंकि एक तोइसमें प्रेग्नेंसी के चांस नहीं होते। दूसरे इसमें कोई दूसरा शख्स अपनी पसंद-नापसंद को महिला पर थोप नहीं पाता। तीसरा एसटीडी (सेक्स ट्रांसमिटेड डिजीज) और एड्स की आशंका नहीं होती।


वैजाइनल पेन (वुलवुडेनिया पेल्विक पेन)- कभी-कभी महिलाओं को नाभि के नीचे और प्यूबिक एरिया के आसपास दर्द महसूस होता है। यह दर्द वैसा ही होता है जैसा पीरियड्स के दौरान होता है। इसकी वजह यह है कि उत्तेजना होने पर प्राइवेट पार्ट के आसपास खून का बहाव होता है। ऐसे में लुब्रिकेशन होता है पर क्लाइमैक्स नहीं होता। इससे इस एरिया में खून जम जाता है और दर्द होने लगता है। ऐसे में संतुष्टहोना जरूरी है फिर चाहे महिला खुद संतुष्ट हो या पुरुष उसे संतुष्ट करे। ऐसा न होने पर दर्द होता रह सकता है और महिला चिड़चिड़ी हो सकती है।


लेक्स पैरिनियम- मैक्स हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अनुराधा कपूर के मुताबिक उम्र बढ़ने और बच्चे होने के बाद कुछ महिलाओं का जनन अंग ढीला पड़ जाता हैजिससे दोनों को पूरी संतुष्टि का अहसास नहीं होता। आमतौर पर यह समस्या 40 साल के आसपास और दो-तीन बच्चे होने पर होती है। इसके लिए कीजल एक्सरसाइज और जरूरत पड़ने पर सर्जरी (वैजाइनोप्लास्टी) की जाती है। चार हफ्ते तक कीजल एक्सरसाइज करने से स्त्री जनन अंग में कसाव आने लगता है।


जी स्पॉट : महिला जनन अंग में एक ऐसा क्षेत्र होता है, जहां सेक्स संबंधी संवेदनशीलता ज्यादा होती है। यह स्पॉट दो इंच की गहराई पर होता है। उत्तेजना बढ़ने पर यह स्पॉट थोड़ा फूल जाता है या कठोर हो जाता है। महिला को सबसे ज्यादा संतुष्टि इसी स्पॉट के छुए जाने पर होती है।


**स्‍त्री सेक्‍स मिथ और सच्‍चाई**

 महिलाओं को सेक्स की इच्छा कम होती है - महिलाओं को भी पुरुषों की तरह ही सेक्स की इच्छा होती है। बच्चे होने के बाद भी कमी नहीं होती हालांकि कई बार परफॉर्मेंस में कमी आ जाती है। इसकी शारीरिक और मानसिक दोनों वजहें होती हैं।

पहली बार सेक्स करते हुए ब्लड निकलना ही चाहिए- लोग मानते हैं अगर महिला वर्जिन है तो पहली बार सेक्स के दौरान इसे ब्लीडिंग होनी ही चाहिए। यह सच नहीं है क्योंकि कुछ खेलकूद या साइfकल चलाते वक्त भी कुछ महिलाओं की हाइमेन टूट सकती है। ऐसे में पहली बार सहवास के दौरान ब्लड नहीं निकलता।

महिलाओं को भी पुरुषों की तरह डिस्चार्ज होता है- महिलाओं में पुरुषों की तरह डिस्चार्ज नहीं होता। 100 में से बमुश्किल एक महिला को थोड़ा-बहुत डिस्चार्ज होता है। उत्तेजना के दौरान होने वाले लुब्रिकेशन को ही ज्यादातर लोग डिस्चार्ज समझ लेते हैं। हालांकि डिस्चार्ज होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि महिला को असली सुकून क्लाइमैक्स पर पहुंचने से ही मिलता है।

महिलाएं चरम पर नहीं पहुंचती हैं-  यह पूरी तरह गलत है। महिलाएं भी संभोग के दौरान चरम पर पहुंचती हैं। ऐसे में पुरुष का उसकी जरूरत को समझना औरउसके मुताबिक परफॉर्मेंस देना जरूरी है।

चरम पर पहुंचने में महिलाओं को ज्यादा वक्त लगता हैसभी महिलाएं सेक्‍स के चरम पर पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लेतीं। अगर पार्टनर उनकी पसंद का है तो वे जल्दी मुकाम पर पहुंच जाती हैं। हालांकि कुछ को ज्यादा वक्त भी लग सकता है।

  (टिप- यह जानकारी सिर्फ संदर्भ के लिये दि गयी कोई भी दवा लेने से पूर्व डॉक्टर कि सलाह आवश्यक है)

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