Thursday 1 October 2015

शीघ्रपतन एवं होम्योपैथीक उपचार








शीघ्रपतन एक ऐसा रोग जो आज के नवयुवकों में महामारी की तरह फैल रहा है। यह रोग युवकों को शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचा रहा है। असल में शीघ्रपतन है क्या यह बात जानना जरूरी है क्योंकि बहुत से युवक तो सिर्फ इसके नाम से ही बुरी तरह भयभीत हो जाते हैं। संभोग क्रिया के समय जिनका वीर्य कुछ मिनटों में ही निकल जाता है अर्थात वह कुछ मिनटों में स्खलित हो जाते हैं उनको लगता है कि वह अपनी पत्नी को कभी खुश नहीं रख सकते, उसे संभोग की चरम सीमा पर नहीं पहुंचा सकते आदि। कई युवकों को तो यह भी डर रहता है कि इसके कारण उनको बाप बनने में भी परेशानी आ सकती है। ऐसे कितने ही सवाल उनके मन में संभोग क्रिया के समय स्खलित जल्दी हो जाने पर पैदा होते हैं। लेकिन ऐसे युवकों को एक बात की जानकारी देना जरूरी है कि स्खलन हमेशा मिनटों में ही होता है उसको होने के लिए कभी भी आधा घंटा या पूरा घंटा नहीं लगता है। चाहे कोई कितना भी पहलवान हो या बिल्कुल स्वस्थ हो वह भी संभोग क्रिया के समय मिनटों में ही स्खलित होता है।

बहुत से लोगों में आदत होती है कि वह अपने दोस्तों के सामने कहते फिरते हैं कि मैने अपनी पत्नी के साथ सेक्स किया तो उस समय मेरा लिंग उसकी योनि में पहुंचने के बहुत देर तक स्खलित नहीं हुआ। ऐसे में अगर उसका दोस्त अपनी पत्नी के साथ सही तरह के सेक्स संबंध बना भी रहा होगा तो भी उसे महसूस होगा कि मै तो संभोग क्रिया के समय उससे जल्दी स्खलित हो जाता हूं इसका मतलब मुझे शीघ्रपतन का रोग है।

असल में संभोग क्रिया के समय जब पुरुष स्त्री की योनि में अपना लिंग प्रवेश कराता है और घर्षण करने की क्रिया में लग जाता है तो लगभग आधे से एक मिनट में ही उसका स्खलन हो जाता है। कुछ लोग हैं जो इससे ज्यादा समय तक अपने वीर्य को स्खलित होने से रोक पाते है लेकिन वह भी ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 मिनट बस।

जानकारी-

असल में किसी भी चीज के समाप्त होने का संबंध कहीं न कहीं हमारी मानसिक स्थिति के साथ होता है। अगर कोई लड़का किसी लड़की से मिलने जाता है तो वह पूरे दिन साथ में रहते हैं लेकिन जब शाम को लड़की घर जाने लगती है तो लड़के को लगता है कि लड़की अभी तो आई थी और इतनी जल्दी समय भी हो गया। ऐसे ही हमारी जिंदगी में सुख और दुख के साथ होता है। अगर इंसान सुखी है तो सुख में उसका समय पंख लगाकर उड़ जाता है लेकिन अगर उस पर दुख आता है तो उसका एक-एक पल सदियों की तरह बीतता है। यही बातें स्खलन पर भी लागू होती हैं। कोई भी पुरुष संभोग क्रिया के समय जब अपने लिंग को स्त्री की योनि में प्रवेश कराके घर्षण क्रिया करता है तो उस समय वह इतने ज्यादा सुख और आनंद में डूब जाता है कि उस समय का कोई ध्यान ही नहीं रहता। उस समय एक मिनट को भी वह यह समझता है कि जैसे एक पल ही हो। यहीं से उसके मन में शीघ्रपतन का वहम बैठ जाता है। लेकिन ऐसे पुरुष जिनका वीर्य संभोग क्रिया के समय आधे मिनट के बाद स्खलित होता है उन्हें समझ लेना चाहिए कि उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है और वह बिल्कुल स्वस्थ हैं।

शीघ्रपतन का सच-

यह सब तो आपको पता चल गया कि किस अवस्था तक व्यक्ति को नहीं सोचना चाहिए कि उसको शीघ्रपतन का रोग है। अब बात आती है असली शीघ्रपतन रोग और उसके रोगियों की। बहुत से पुरुष जब स्त्री के साथ संभोग करते हैं तो उनका लिंग स्त्री की योनि में पहुंचते ही स्खलित हो जाता है, बहुत से तो अपने लिंग को स्त्री की योनि से स्पर्श कराते ही स्खलित हो जाते हैं और बहुत से ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ प्राक-क्रीड़ा में ही स्खलित हो जाते हैं। ऐसे पुरुषों को कहा जा सकता है कि वह शीघ्रपतन के रोग से ग्रस्त हैं।

शीघ्रपतन के कारण-

मन में हर समय सेक्स के संबंध में विचार रखने और शीघ्रपतन का बहुत ही गहरा नाता है। कोई भी लड़का जब युवावस्था में कदम रखता है तो उस समय वह अगर टी.वी. या वैसे ही किसी लड़की को देख लेता है तो उसके मन में उसके लिए अजीब-अजीब से विचार घूमने लगते हैं जैसे वह मेरे साथ होती तो मै उसके स्तनों को दबाता, उसके होंठों पर चुंबन करता, उसके साथ सेक्स करता और ऐसे ही जाने कितने अश्लील विचार मन में आने लगते हैं। ऐसे विचार मन में आते ही युवक का लिंग उत्तेजित हो जाता है और उसका हाथ उस उत्तेजित लिंग पर पहुंच जाता है और यहां से शुरू होती है शीघ्रपतन रोग की पहली सीढ़ी अर्थात। युवती के विचारों में खोया हुआ युवक जब उसके साथ ख्यालों में ही आलिंगन, चुंबन या स्तनों को दबाने की क्रिया करता है तब तक तो हस्तमैथुन करते समय उसके हाथ धीमी गति से ही चलने लगते हैं लेकिन जैसे ही वह ख्यालों में उसके साथ संभोग करने लगता है तो उसके हस्तमैथुन करने की गति भी तेज हो जाती है और वह स्खलित हो जाता है। इससे एक बात पता चलती है कि स्खलन होने पर पुरुष का पूरा नियंत्रण रहता है और वह तभी स्खलित होता है जब उसकी इच्छा होती है।
बहुत से युवक युवावस्था में अक्सर ज्यादा उम्र की ऐसी स्त्रियों के चक्कर में फंस जाते हैं जो बहुत ज्यादा कामोत्तेजित होती हैं। ऐसी स्त्रियां संभोग से पहले की प्राकक्रीडा़ के दौरान युवक को उत्तेजना की चरम सीमा तक उत्तेजित कर देती हैं और अनाड़ी युवक उस स्त्री की योनि में अपना लिंग प्रवेश करने से पहले या प्रवेश करते ही तुरंत स्खलित हो जाते हैं और ठंडे पड़ जाते हैं और यदि दुबारा उनका लिंग उत्तेजित होता है तो वह उसपर काबू कर पाने में असमर्थ रहता है। यही स्थिति आगे चलकर उसकी शादी के होने के बाद आती है अर्थात वह जब अपनी पत्नी से पहली बार संभोग करता है तो वहां पर भी वह शीघ्र स्खलित हो जाता है और आगे चलकर उसके लिए परेशानियां पैदा हो जाती हैं।
इसके अलावा एक दूसरी स्थिति और भी होती है जब पुरुष किसी स्त्री के साथ बहुत ज्यादा प्यार करता है और उसे उससे किसी कारण से दूर रहना पड़ता है। लेकिन फिर भी वह उसी के अंतरंग विचारों में खोया रहता है, वह ख्यालों में ही कभी उसके साथ चुंबन करने लगता है तो कभी उसके स्तनों को दबाने लगता है। इसी बारे में वह पूरे दिन में कई बार मन में विचार लाता है और हर विचार के साथ उसका लिंग उत्तेजित हो जाता है लेकिन विचार की समाप्ति के साथ ही उसके लिंग की उत्तेजना भी समाप्त हो जाती है लेकिन इसके साथ ही उसका वीर्य स्खलित हो जाता है और यही मानसिक स्थिति शीघ्रपतन का कारण बन जाती है।
ये तो थे वह पुरुष जो हर समय स्त्री के साथ संभोग करने के विचारों के कारण शीघ्रपतन के रोगी हो गए थे लेकिन इसके विपरीत ऐसे पुरुष भी होते हैं जो न तो अपने मन में किसी स्त्री के विचार लाते हैं और न ही उनके साथ संभोग आदि करने के ख्यालों में खोए रहते हैं लेकिन फिर भी वह जैसे ही स्त्री के पास जाते हैं या उसे छूते हैं तो उनका स्खलन हो जाता है। ऐसे पुरुषों को बताना जरूरी है कि हमारा शरीर जो है वह कोई मशीन तो है नहीं कि बिना रुके हर समय चलता है। इसे भी आराम आदि की जरूरत पड़ती है। उस समय पुरुष अपने आप स्खलित इसलिए हो जाता है क्योंकि शरीर चाहता है कि संभोग करते समय उसे ज्यादा मेहनत न करनी पड़े, लिंग को योनि में ज्यादा घर्षण न करना पड़े। लेकिन इससे यह नहीं समझना चाहिए कि स्खलन शारीरिक थकावट आदि के कारण होता है। यह सिर्फ शरीर के अंदर होने वाले बदलाव की प्रक्रिया है जो शरीर को आराम देना चाहती है।
अक्सर विवाह होने पर पत्नी की उम्र अपने पति की उम्र से बहुत ज्यादा कम होती है जैसे अगर पत्नी 20 साल की है तो उसका पति 32-33 साल का होता है। इसके अलावा बहुत से पुरुष तो कई बच्चों के बाप बनने के बाद भी अपने से बहुत छोटी उम्र की स्त्री से विवाह करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि युवती का उभरता हुआ यौवन उसे इतना ज्यादा उत्तेजित कर देता है कि वह अपने लिंग को योनि में प्रवेश कराने से पूर्व ही स्खलित हो जाते हैं। यह क्रिया रोजाना रात को चलती रहती है पति अपनी उत्तेजना की आग में संभोग क्रिया के समय तुरंत ही स्खलित होकर सो जाता है लेकिन युवती पूरी रात प्यासे पंछी की तरह तड़पती रहती है।
ऐसे पुरुष जिनके अंदर आत्मविश्वास की कमी होती है वह अक्सर अपनी पत्नी के ऊपर शक करते रहते हैं। इनमें से ऐसे पतियों की संख्या तो बहुत ज्यादा होती है जो अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं। ऐसे में अगर उनकी पत्नी हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की होती है तो उनका शक और भी बढ़ जाता है। इसके कारण हर समय उसके मन में अपनी पत्नी के करेक्टर को लेकर अजीब-अजीब से विचार घूमते रहते हैं। ऐसे में जब वह अपनी पत्नी के साथ संभोग क्रिया कर रहा होता है तो यही शक उस समय में भी उसके दिमाग में घूमता रहता है और वह इस क्रिया में अपना पूरा सहयोग नहीं दे पाता है और तुरंत ही स्खलित हो जाता है।
बहुत से पुरुष अगर किसी स्त्री को कपड़े बदलते हुए या नहाते हुए नग्न अवस्था में देख लेते हैं तो उनके अंदर बहुत ज्यादा काम-उत्तेजना बढ़ जाती है, मन में संभोग करने की इच्छा बढ़ने लगती है, वह उस स्त्री के साथ संभोग नहीं कर सकता इसलिए वह अपनी पत्नी के साथ ही संभोग क्रिया में लीन हो जाता है। उधर उसके मस्तिष्क में स्त्री का उत्तेजक रूप घूमता रहता है। इसकी प्रतिक्रिया व्यक्ति के शरीर और तंत्रिकाओं पर होती है जिसका परिणाम यह होता है कि लिंग के योनि में प्रवेश करते ही या उससे पहले ही उसका वीर्यपात अर्थात स्खलन हो जाता है।
यह तो स्त्री के साथ संभोग करने वाला हर कोई व्यक्ति जानता है कि स्त्री की शर्मो-हय्या या संकोच एक-दो बार संभोग करने में मिट जाती है और वह बिना किसी झिझक के पुरुष के लिंग के साथ खेलने लगती है, उसे पकड़ने, हिलाने और सहलाने लगती है। स्त्री की इस क्रिया से पुरुष के लिंग में बहुत उत्तेजना पैदा हो जाती है क्योंकि लिंग शरीर का बहुत ही संवेदनशील अंग होता है। जिन दिनों पुरुष का शीघ्रपतन का समय चल रहा हो तो पुरुष को चाहिए कि वह बिना किसी संकोच के स्त्री को साफ-साफ कह देना चाहिए कि वह अभी उनके लिंग के साथ छेड़छाड़ न करें। पुरुष की इन भावनाओं को समझदार स्त्रियां तो समझ जाती हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि उनकी इस छेड़छाड़ का असर उनकी संभोग क्रिया पर भी पड़ेगा जिससे न तो उन्हें इस क्रिया के समय़ चरम सुख की प्राप्ति होगी और न ही किसी तरह का आनंद मिलेगा। लेकिन फिर भी बहुत सी स्त्रियां इस बात को समझने के बावजूद भी काम-उत्तेजना में इतनी ज्यादा मग्न हो जाती हैं कि उन्हें पुरुष की यह बात याद भी नहीं रहती। ऐसे में पुरुष को बड़ी चतुराई के साथ काम-क्रीड़ा करनी चाहिए। यह तो साफ है कि जिस तरह पुरुष स्त्री के स्तनों को दबाता है उसी तरह स्त्री भी पुरुष के लिंग को दबाने या में या मसलने में आनंद महसूस करती है। वह अपने इस आनंद के पल को गंवाना नहीं चाहती। ऐसे में उन्हें स्त्री के साथ इस तरह काम-क्रीडा़ करनी चाहिए कि स्त्री के हाथ पुरुष के लिंग तक पहुंच ही न पाएं जैसे उसको स्त्री का आलिंगन इस तरह से करना चाहिए कि उसके दोनों हाथ कमर के नीचे पुरुष के हाथों के बीचों में दब जाएं। इस तरह से स्त्री को उतनी देर तक आलिंगन में बांधकर रखना चाहिए और वह पुरुष के लिंग को छूने की बात को ही भूल जाए।
पुरुषों के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि बहुत सी युवतियां लिंग के साथ छेड़छाड़ तो करती हैं लेकिन वह इसका तरीका नहीं जानती हैं वह लिंग को दबाती हैं, मसलती हैं, थपथपाती हैं या अंडकोषों पर हाथ फेरती हैं। इस प्रकार के कार्यों से पुरुष को कोई हानि नहीं होती क्योंकि उसे तभी हानि होती है जब युवती नंगे लिंग मुंड पर हाथ फेरती है या उसे चूमती है।
अगर कोई पुरुष काम के सिलसिले में या दूसरे कामों के चक्कर में अपनी पत्नी से काफी समय तक दूर रहता है तो इस कारण वह अपनी पत्नी के साथ संभोग नहीं कर पाता है। लेकिन जब वह वापस आता है और अपनी पत्नी के साथ संभोग करने के लिए तैयार होता है तो उस समय उसकी काम-उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और वह सिर्फ स्त्री की योनि में अपने लिंग द्वारा 3-4 घर्षण करने के तुरंत बाद ही स्खलित हो जाता है। रुकी हुई काम-उत्तेजना के कारण यह स्थिति बार-बार हो सकती है लेकिन ऐसे में पुरुषों को डरना नहीं चाहिए नहीं तो यह डर उनके दिमाग में भी बैठ सकता है।
कोई भी व्यक्ति हो वह सारा दिन आफिस आदि में काम करने के कारण या बॉस आदि के डांट के कारण परेशान हो जाता है। शाम को जब वह वापस अपने घर आता है तो वहां पर भी परेशान सा रहता है लेकिन पत्नी के पूछने पर सबकुछ बातों में ही टाल देता है। यह बातें उसके मन में मानसिक तनाव पैदा कर देती हैं। रात को जब वह पत्नी के साथ सोता है तो पत्नी उसके साथ संभोग करने की इच्छा जताती है। इस पर वह इस क्रिया के लिए राजी तो हो जाता है लेकिन सिर्फ ऊपरी मन से। इसका नतीजा यह होता है कि या तो उसका लिंग पूरी तरह उत्तेजित नहीं हो पाता या वह घर्षण क्रिया के समय तुरंत स्खलित हो जाता है और यही स्थिति कुछ समय तक रहने से शीघ्रपतन में तब्दील हो जाती है।
संभोग क्रिया से पहले की जाने वाली प्राक-क्रीड़ा भी कभी-कभी शीघ्रपतन का कारण बनती है। स्त्री की जीभ और होंठों को बार-बार चूसने तथा स्तनों को दबाने से पुरुष की काम-उत्तेजना इतनी तेज हो जाती है कि पुरुष संभोग क्रिया से पहले ही स्खलित हो जाता है। इसके अलावा प्राक-क्रीड़ा के दौरान स्त्री की योनि को चूमने से या शिश्निका (भगोष्ठ) पर जीभ फेरने से भी पुरुष तुरंत स्खलित हो जाता है क्योंकि यह दोनों स्त्री के शरीर के बहुत ही संवेदनशील अंग होते हैं और इन पर किसी तरह की क्रिया होने से स्त्री और पुरुष दोनों ही चरम पर पहुंच जाते हैं। लेकिन यह स्थिति शीघ्रपतन होने का कारण बन जाती है।
बहुत से पुरुष संभोग करते समय ब्लू फिल्मों को देखकर या अश्लील मैग्जीनों में दिखाए जाने वाली सेक्स की मुद्राओं को देखकर अपनी पत्नी के साथ भी वैसी ही मुद्राओं में सेक्स करना चाहते हैं। लेकिन उन फिल्मों या मैग्जीनों में दिखाए जाने वाले दृष्यों को देखकर पुरुष के शरीर में पहले ही इतनी काम-उत्तेजना भर जाती है कि वह संभोग क्रिया के समय लिंग को योनि में पहुंचाने से पहले ही या पहुंचाते ही स्खलित हो जाता है। इसके अलावा बहुत से पुरुषों को आदत होती है कि वह शीशे में देखकर संभोग करते हैं। शीशे में अपनी पत्नी के नंगे शरीर को देखकर या सेक्स की मुद्राओं को देखकर वह इतना ज्यादा काम-उत्तेजित हो जाता है कि संभोग करने से पहले ही स्खलित हो जाता है।
बहुत से पुरुष तेज रोशनी में स्त्री के शरीर को नग्न अवस्था में देखकर बहुत ज्यादा उत्तेजित होते हैं। स्त्री के यौन अंग वैसे ही बहुत ज्यादा उत्तेजक होते हैं ऐसे में तेज रोशनी उनको और ज्यादा नशीला बना देती है। ऐसे में पुरुष जैसे ही स्त्री के इन अंगों को मसलता है या दबाता है तो वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं रख पाता है और जल्दबाजी में अपने लिंग को स्त्री की योनि में प्रवेश कराता है तो कुछ ही देर में स्खलित हो जाता है।
ऐसे पुरुष संभोग क्रिया के समय जिनका वीर्यपात जल्दी हो जाता है उनको इस क्रिया के लिए विपरीत आसन करना चाहिए। इस आसन में स्त्री पुरुष की जांघों के ऊपर आकर कटि संचालन करके पुरुष के लिंग पर योनि का घर्षण करती है। ऐसे आसन में स्त्री की योनि, उत्तेजक भगोष्ठ, सिंदूरी लघु भगोष्ठ, उत्तेजित भंगाकुर, योनि के मुख का फैलना और सिकुड़ना पुरुष की काम-उत्तेजना को बहुत ज्यादा तेज कर देते हैं और वह सिर्फ 3-4 बार योनि में घर्षण करते ही स्खलित हो जाता है। विपरीत आसन में संभोग क्रिया या तो हल्की रोशनी या बिल्कुल ही अंधेरे में करनी चाहिए क्योंकि इसके लिए तेज रोशनी खतरनाक हो सकती है।
अक्सर बहुत से युवक सेक्स के बारे में किसी तरह की जानकारी न होने के कारण अपने लिंग को लेकर वहम में ही रहते हैं। ऐसे युवक मैग्जीन या फिल्मों आदि में लंबे और मोटे लिंग वाले पुरुषों को सेक्स करते हुए देखकर सोचते हैं कि मेरा लिंग तो इसके मुकाबले बहुत ही कमजोर है मै अपनी पत्नी को कैसे संतुष्ट कैसे कर पाऊंगा। यही भावना उनके मन में हीनभावना भर देती है और उनके आत्मविश्वास को कम कर देती है। ऐसे युवकों को यह बात बताना जरूरी है कि फिल्मों आदि में दिखाए जाने वाले लंबे या मोटे लिंग वाले पुरुषों के लिंग सिर्फ टैक्नीक के जरिए ही बनाए जाते हैं और उनको देखकर अपने मन में किसी तरह का वहम आदि नहीं पालना चाहिए। लिंग के आकार या मोटे पतले होने का सेक्स संबंध बनाने से कोई संबंध नहीं होता।
ऐसी स्त्रियां जिनका विवाह उनकी मर्जी से नहीं होता, उनके पति से साथ उनके संबंध सही नहीं होते, संभोग क्रिया में अरुचि दिखाती है या संभोग क्रिया के समय पति के साथ किसी तरह का सहयोग नहीं करती तो ऐसे में उसके पति को एकतरफा संभोग क्रिया करनी पड़ती है जिसके कारण वह जल्दी ही स्खलित हो जाता है।
अगर कोई स्त्री योनि संकोचन के दर्द अर्थात वेजाअनिसमस के पीड़ित होती है तो भी उसके साथ की जाने वाली संभोग क्रिया सफल नहीं हो पाती। ऐसी स्त्रियों के साथ संभोग करते समय पुरुष जैसे ही अपने लिंग को उनकी योनि में प्रवेश कराने की क्रिया आरंभ करता है तो स्त्री दर्द के कारण चिल्लाने लगती है और पुरुष डर के कारण अपने लिंग को वापस बाहर निकाल लेता है। इसके बाद वह दुबारा से उसी क्रिया को करने की कोशिश करता है लेकिन फिर से वही सबकुछ। इस तरह करने से कुछ ही समय के बाद पुरुष की उत्तेजना शांत होकर उसका स्खलन हो जाता है। योनि में दर्द का कारण मानसिक और शारीरिक भी हो सकता है। बहुत से मामलों में पुरुष सेक्स के बारे में जानकारी न होने के कारण बिना स्त्री को उत्तेजित कराए बिना ही संभोग की घर्षण क्रिया में लग जाता है। इस कारण से बिना उत्तेजित हुए ही स्त्री के साथ घर्षण करने से वह दर्द के कारण चिल्लाने लगती है क्योंकि जब तक स्त्री की योनि गीली नहीं होती और यही दर्द का कारण बनता है।
बहुत से पुरुषों पर किसी तरह की सुगंध या इत्र आदि का बहुत ही ज्यादा उत्तेजक प्रभाव पड़ता है और वह स्त्री के साथ संभोग करने के लिए बेचैन जाता है। बहुत से स्त्री और पुरुष संभोग करने से पहले कई तरह की खुशबुओं का प्रयोग करते हैं। अगर इसकी वजह से स्त्री की काम-उत्तेजना तेज होती है तो इससे किसी प्रकार की परेशानी की बात नहीं लेकिन अगर पुरुष की काम-उत्तेजना ज्यादा तेज हो जाती है और वह घर्षण करने से पहले ही स्खलित हो जाता है। इसलिए यही सुगंध आदि संभोग सुख और चरम सुख में रुकावट बन जाती है।
सुगंध या किसी और चीज की खुशबू आदि से जिस तरह से काम-उत्तेजना तेज हो जाती है इसके विपरीत उसी तरह से किसी चीज की दुर्गंध आदि काम-उत्तेजना को कम और समाप्त भी कर देती है। दुर्गंध किसी भी चीज की हो सकती है जैसे मुंह से आने वाली दुर्गंध, शरीर में आने वाले पसीने की दुर्गंध, कपड़ों से आने वाली दुर्गंध या फिर योनि में से आने वाले स्राव की दु्र्गंध। अगर स्त्री में से किसी प्रकार की दुर्गंध आती है तो इससे पुरुष का लिंग पूरी तरह से उत्तेजित नहीं हो पाता और पूरी तरह न उत्तेजित लिंग का शीघ्र स्खलन होना तो स्वाभाविक ही है। ऐसे ही यदि दुर्गंध पुरुष के अंदर से आती है तो इससे स्त्री के मन में काम-उत्तेजना न जागृत होकर एक प्रकार की घृणा सी पैदा हो जाती है और उसकी योनि में तनाव पैदा हो जाता है। ऐसे में अगर पुरुष उस स्त्री के साथ संभोग करता है तो उसका वीर्य स्खलन तुरंत ही हो जाता है।
अगर पुरुष या स्त्री अपने विवाह से पहले समलैंगिक संभोग के आदि रह चुके होते हैं तो विवाह करने के बाद विपरीत सेक्स के प्रति उनकी रुचि नहीं रहती और वह संभोग के समय न तो स्वयं ही चरम सुख प्राप्त करते हैं और न ही अपने सहभागी को चरम सुख प्राप्त करा पाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह अपने समलैंगिकता संभोग में इतने मशरूफ हो जाते हैं कि उन्हें उसके सिवा विपरीत लिंग के साथ संभोग करने में बिल्कुल मन नहीं रहता। ऐसे स्त्री और पुरुष अगर बिना इच्छा के एक-दूसरे के साथ संभोग करते हैं तो स्त्री तो ठंडी बनी रहती है और पुरुष भी तुरंत स्खलित हो जाता है।
जिन स्त्री और पुरुषों का विवाह होने के लगभग 1 साल के अंदर ही उनकी संतान पैदा हो जाती हैं तो वह न तो पूरी तरह से खुलकर संभोग क्रिया में लीन हो पाते हैं और न ही संभोग में मिलने वाले चरम सुख का आनंद उठा सकते हैं। क्योंकि संभोग करते समय उन्हें बच्चे के जागने का डर लगा रहता है और इसी कारण से वह तुरंत ही इस क्रिया को निपटाना चाहते हैं। ऐसे स्त्री-पुरुष संभोग करते समय पूरी तरह से अपने कपड़े नहीं उतार पाते हैं। नतीजतन स्त्री की काम-उत्तेजना जागृत नहीं हो पाती और संभोग क्रिया शुरू हो जाती है। इस क्रिया के साथ ही दोनों का ध्यान अपने बच्चे की तरफ भी लगा रहता है कि कहीं वह जाग तो नहीं गया। संभोग क्रिया में पूरी तरह से ध्यान न होने के कारण और पूरी काम-उत्तेजना न होने के कारण स्त्री की योनि पूरी तरह से गीली नहीं हो पाती और पति गहरे स्ट्रोक लगाने की स्थिति में नहीं रहता। इसी कारण से कभी-कभी पुरुष का लिंग भी पूरी तरह से उत्तेजित नहीं हो पाता। यही वजह होती है कि पति संभोग करते समय पत्नी को चरम सुख प्राप्त कराए बगैर स्खलित हो जाता है और पत्नी अतृप्त सी रह जाती है।

शीघ्रपतन के रोग से ग्रस्त रोगियों के लिए जरूरी जानकारी- शीघ्रपतन का रोग वैसे तो पुरुषों का है लेकिन इसका जितना असर पुरूषों पर पड़ता है उतना ही स्त्रियों पर भी पड़ता है। इसलिए इस रोग से ग्रस्त रोगियों की पत्नियों को अपने पतियों को पूरा सहयोग देना चाहिए ताकि वह आसानी से इस रोग के गिरफ्त से बाहर आ सके। इसके लिए स्त्रियों को कुछ खास बातें बताई जा रही है जिनको अपनाकर वह अपने पति के ठीक होने में मदद कर सकती है-
शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त पुरुषों की पत्नियों को अपने पति के व्यवहार को सामान्य और अच्छा बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। एक बात बिल्कुल सही है कि अपने पति के शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त होने पर पत्नी शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत परेशानी महसूस करती है। ऐसे में अगर पत्नी बात-बात पर अपने पति से लड़ने लगे, उसकी उपेक्षा करने लगे, उसके पौरुष का मजाक उड़ाए तो इससे स्थिति और भी बिगड़ सकती है। पति एक तो पहले ही अपने शीघ्रपतन के रोग से परेशान है उसके ऊपर अगर पत्नी का व्यवहार ऐसा होगा तो उसका मन और ज्यादा दुखी हो जाएगा। इससे हालात सुधरने के बजाय और भी ज्यादा बिगड़ सकते हैं। इसलिए जब पत्नी को संभोग क्रिया करते समय ऐसा महसूस हो कि उसके पति की स्तंभन शक्ति कम हो रही है या वह हर बार उसको बिना संतुष्टि पहुंचाए ही शीघ्र स्खलित हो रहा है तो उसको सावधान हो जाना चाहिए। जब संभोग करते समय ऐसी स्थिति बार-बार पैदा होती हो तो पत्नी को चाहिए कि वह प्यार से अपने पति को उसकी इस समस्या के बारे में बताए। उसे किसी अच्छे सेक्स चिकित्सक के पास जाकर अपने रोग का इलाज करवाने की सलाह दे। पत्नी के इस प्यार भरे बर्ताव से पति का मन इस रोग के बोझ से थोड़ा कम होगा और वह जल्द ही अपनी इस समस्या से निजात पाने की कोशिश करेगा।
कई बार छुट्टी के दिन या वैसे ही कभी भी पति का मन दिन में भी पत्नी के साथ संभोग क्रिया करने का कर जाता है लेकिन अक्सर पत्नी दिन में पति का इस मामले में साथ नहीं दे पाती जैसे वह कहती है कि मेरा मन नहीं है, कोई आ जाएगा, कोई क्या सोचेगा कि दिन में दोनों कमरे को बंद करके क्या कर रहे हैं, अभी इसका समय नहीं है, अभी रात को तो किया था आदि। वैसे तो ऐसे मौके बहुत ही कम मिलते हैं कि पति दिन में अपनी पत्नी के साथ संभोग करने की इच्छा करता है लेकिन खास मौकों पर ऐसा मूड बन ही जाता है जैसे कि पत्नी नहा कर आए, तैयार हो रही हो, कपड़े बदल रही हो, कहीं शादी-ब्याह में जाने की तैयारी कर रही हो। ऐसे अवसरों पर पत्नी का रूप कुछ अलग ही नजर आता है। अगर ऐसे मौकों पर पति पत्नी को सेक्स करने के लिए कहता है तो उसे मना न करके पूरा सहयोग करना चाहिए। ऐसे मौकों पर पति का ज्यादा मन पत्नी के स्तनों को दबाने पर और योनि में लिंग को प्रवेश कराके घर्षण करने पर ही रहता है। ऐसे समय में पुरुष के शरीर में उत्तेजना पूरे चरम पर होती है इसी कारण से उस समय संभोग की अवधि ज्यादा समय की नहीं होती है ज्यादा से ज्यादा 1-2 मिनट के अंदर ही पति स्खलित हो जाता है। लेकिन इस समय संभोग क्रिया करते समय जो आनंद मिलता है वह रात को पूरे संयम के साथ सेक्स करते समय भी नहीं मिलता चाहे वह ज्यादा देर तक क्यों न चले। ऐसी स्थिति को उन लोगों के लिए बेहतर माना जाता है जो शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त होते हैं। एक तो इस छोटी सी संभोग क्रिया क्रिया में बहुत ज्यादा आनंद की प्राप्ति होती है और दूसरे शारीरिक और मानसिक उत्तेजना कम हो जाती है। इससे एक लाभ यह भी है कि पति की उत्तेजना में कुछ कमी आ जाती है जिससे उसे रात में किये जाने वाले संभोग की अवधि कुछ बढ़ी हुई सी महसूस होती है। इस छोटी सी संभोग क्रिया के लिए पत्नी खुद भी अपने पति को प्रेरित कर सकती है।
शीघ्रपतन रोग की समस्या पूरी तरह से पुरुषों की समस्या है इसलिए इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए पुरुष को ही अधिक कोशिश करनी पड़ती है। पुरुष को जितनी जल्दी हो अपने आपको इस रोग से मुक्त करने की कोशिश करनी चाहिए। सेक्स से जुड़ी हर प्रकार की समस्या को 2 भागों में बांटा गया है- शारीरिक और मानसिक। चिकित्सक की सलाह द्वारा शारीरिक समस्याओं को अपने व्यवहार को बदलकर और अपनी सोच-विचार को बदलकर दूर किया जा सकता है। यहां पर सिर्फ शीघ्रपतन से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए कुछ दिशा-निर्देशों के बारे में चर्चा करेंगे जिनका पालन करके रोगी अपनी शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा पा सकता है-
जो व्यक्ति शीघ्रपतन के रोग से ग्रस्त होते हैं उन्हें रात को संभोग क्रिया करते समय कमरे में कम रोशनी रखनी चाहिए या तो बिल्कुल ही रोशनी न रखें तो भी ठीक है। यह इसलिए करना चाहिए क्योंकि पुरुष स्त्री के नग्न शरीर को देखकर तुरंत ही उत्तेजित हो जाता है। लेकिन स्त्रियों के साथ ऐसा नहीं होता क्य़ोंकि वह पुरुष के नग्न शरीर को देखकर उत्तेजित नहीं होती है। बहुत से पुरुष चाहते हैं कि योनि में लिंग के प्रवेश से पूर्व प्राक-क्रीड़ा के दौरान स्त्री उनके लिंग को उत्तेजित करें। लेकिन शीघ्रपतन के रोगियों को इस स्थिति से पूरी तरह से बचना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से जल्दी ही उनका वीर्यपात होने की संभावना रहती है। संभोग क्रिया करने से पहले पुरुष चाहता है कि लिंग पर किसी तरह की चिकनाई आदि लगा लेनी चाहिए और यह काम वह अपनी पत्नी से कराना बेहतर समझते हैं लेकिन यह किसी तरह से सही विकल्प नहीं लगता क्योंकि शीघ्रपतन के रोगियों के लिए यह स्थिति सही नहीं रहती है। अगर लिंग पर किसी प्रकार की चिकनाई आदि लगानी चाहिए तो वह स्वयं अपने हाथों से लगानी चाहिए।
संभोग क्रिया के समय स्त्री की योनि में लिंग प्रवेश की स्थिति का बहुत बड़ा महत्त्व है। लिंग के योनि में प्रवेश के साथ ही उत्तेजना बढ़ जाती है। योनि के अंदर की गर्मी भी उत्तेजना को तेज करती है। शीघ्रपतन के रोगी को चाहिए कि लिंग को योनि में प्रवेश कराने के बाद शरीर को एकदम ढीला छोड़ देना चाहिए, तुरंत ही घर्षण की क्रिया शुरू कर देनी चाहिए। कुछ देर तक रुककर अपनी उत्तेजना पर काबू करें। इसके बाद 5 बार गिनकर घर्षण करें और फिर रुक जाएं। अब शरीर को दुबारा से ढीला छोड़ दें। इसके बाद पत्नी से दूसरी तरह की बातें करने लगें। मन से इस विचार को निकाल दें कि आप सेक्स कर रहे हैं। इस बारे में पत्नी को भी पति का पूरा साथ देना चाहिए। जब ऐसा महसूस हो कि बढ़ती हुई उत्तेजना कुछ कम हो रही है तो दुबारा से गिनकर 5 बार घर्षण करें और शांत हो जाएं। यहां पर एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि संभोग क्रिया के दौरान किसी भी प्रकार के सेक्स से संबंधित अश्लील बातचीत न करें। इससे शीघ्रपतन के रोगी को यह लाभ मिलेगा कि एक तो उसकी उत्तेजना कम होगी और स्खलन होने का समय बढ़ेगा। इसके लिए एक और तरीका भी है यदि संभव हो तो एक चार्ट तैयार कर लें कि एक रात में कुल कितनी बार घर्षण किया। इससे रोगी व्यक्ति को कुछ ही समय में यह महसूस हो जाएगा कि उसकी संभोग करने की अवधि बढ़ी है या कि नहीं।
शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी अगर अपनी सांस की गति पर ध्यान दे तो यह उसके लिए बहुत ही लाभदायक रहेगा। इसके लिए संभोग क्रिया करते समय जैसे ही लिंग स्त्री की योनि में प्रवेश करता है वैसे ही शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ देना चाहिए। अब जितनी सांस भर सकते हैं भर लें। जब पूरी सांस भर ले तो रुक जाएं। जितना समय सांस को अंदर लेने में लगा है उतना ही समय तक सांस को अंदर रोकना चाहिए। इसके बाद सांस को बाहर छोड़ना शुरू करें। इस तरह से करने से शरीर की उत्तेजना कम होती है और शरीर हर तरह के तनाव से मुक्त हो जाता है। इसके बाद घर्षण करें। संभोग करते समय जब भी लगे कि पूरा शरीर उत्तेजना से भर गया है तो शरीर की सारी गतिविधियों को रोक दें और शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़कर सांस को फिर से अंदर की ओर भरना शुरू करें, रुकें और फिर सांस को धीरे-धीरे से बाहर की ओर छोड़ना शुरू करें। इस क्रिया को करने से शरीर की उत्तेजना कम होकर स्तंभन की शक्ति बढ़ती है और कुछ समय के बाद शीघ्रपतन रोग की समस्या भी समाप्त हो जाती है।
संभोग क्रिया के समय जब हर बार स्खलन जल्दी-जल्दी होने लगता है तो इससे पति की शारीरिक स्थिति के साथ-साथ मानसिक स्थिति भी खराब होने लगती है। बहुत से पुरुष तो जल्दी स्खलन होने के डर से संभोग करना ही बंद कर देते हैं। लेकिन इसमें दिल में किसी प्रकार के डर को पैदा करने की जरूरत नहीं है। जब व्यक्ति को महसूस हो कि संभोग क्रिया के समय स्खलन की प्रक्रिया रोजाना ही जल्दी-जल्दी हो रही है तो कुछ दिन के लिए पत्नी के साथ संभोग करना बंद कर दें। इसके लिए जरूरी है कि पत्नी को अपने इस रोग की स्थिति से पूरी तरह अवगत करा दें और उसे अपने साथ सहयोग करने के लिए राजी करें।
बहुत से व्यक्ति अपने शीघ्रपतन के रोग को लेकर इतनी बुरी तरह से भयभीत हो जाते हैं कि वह जल्द से जल्द इसके उपचार के लिए गलत तरह के लोगों जैसे कि अखबारों आदि में विज्ञापन देने वाले नीम-हकीम जो उनकी सेक्स के समस्या को दूर करने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, के चक्कर में पड़ जाते हैं। लेकिन यहां पर पहुंचकर वह अपना सबकुछ लुटाकर वापस आता है। क्योंकि उनके पास सेक्स से संबंधित किसी भी रोग का इलाज नहीं होता है। वह सिर्फ ऐसी समस्या से ग्रस्त रोगियों से पैसा लूटने के लिए ही बैठे होते हैं। इसलिए शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगियों को इनके चक्कर में न पड़कर किसी अच्छे चिकित्सक के पास ही जाना चाहिए।
संभोग क्रिया के समय कभी-कभी जल्दी स्खलन होने को बहुत से पुरुष अपने अंदर सेक्स पावर में आई कमी समझ लेते हैं। इसको दूर करने के लिए या तो वह संभोग शक्ति बढ़ाने की दवाईयां लेने लगते हैं या फिऱ शराब आदि नशीले पदार्थ का सेवन करके सेक्स पावर बढ़ाने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह सब बेकार की बातें हैं और इन पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि शराब आदि पीने से सेक्स पावर बढ़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता है और इसके लिए किसी भी तरह की औषधि लेने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। किसी अच्छे सेक्स चिकित्सक से इस बारे में बात की जा सकती है।
शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगियों को चाहिए कि वह अपने मन से किसी भी तरह के तनाव आदि को दूर कर दें और हर समय खुश रहने की कोशिश करें क्योंकि किसी तरह का तनाव लेने से किसी तरह की समस्या का निवारण नहीं होता है बल्कि समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। बेहतर सेक्स संबंधों के लिए स्वस्थ तन के साथ स्वस्थ मन का होना भी जरूरी है। बहुत से व्यक्तियों का मानसिक संतुलन सेक्स संबंधों में बार-बार मिलने वाली असफलता के कारण खराब हो जाता है। उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, वह छोटी-छोटी बातों पर अपनी पत्नी पर खीज उठते हैं। पत्नी वैसे ही पति की तरफ से अपने आपको पूरी संतुष्टि मिलने से दुखी होती है और उसके इस तरह से व्यवहार से वह और भी ज्यादा परेशान हो जाती है। जो व्यक्ति अपनी इस समस्या को सामान्य रहकर दूर करने की कोशिश करते हैं वह जल्द ही शीघ्रपतन के रोग से मुक्त हो जाते हैं।
शीघ्रपतन या संभोग क्रिया के समय जल्दी स्खलन पर काबू करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि ठहरो और फिर करो अर्थात हस्तमैथुन करते समय लिंग को दबाने का तरीका क्योंकि संभोग क्रिया में ज्यादा आनंद प्राप्त करने के लिए लिंग को दबाने का तरीका भी कुछ अलग महत्त्व रखता है। इसको लिंग का व्यायाम भी कहा जा सकता है। इससे पुरुष अपनी संवेदना की अनुभूति बढ़ा सकता है तथा धीरे-धीरे स्खलन पर काबू कर सकता है- यह व्यायाम इस प्रकार से हैं-
व्यायाम का पहला चरण- सबसे पहले लिंग को हाथ में पकड़कर आगे-पीछे ले जाते हुए हस्तमैथुन करें और जब लगे कि स्खलन होने वाला है तो तभी रुक जाएं। इसके कुछ देर बाद दुबारा से इस क्रिया को करना शुरु करें। इस पूरी क्रिया में कम से कम 15 मिनट का समय जरूर लगना चाहिए और यह भी बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इस क्रिया में रुकने और दुबारा शुरु करने के बीच इतना अंतराल होना चाहिए कि इसे दुबारा शुरु करते ही स्खलन होने की स्थिति न बन जाए। इस व्यायाम को करने का मुख्य मकसद यही है कि पुरुष स्खलन होने की जरूरी स्थिति तक पहुंचने के पहले के पलों को पहचानना सीख लें और वह स्थिति आने से पहले ही अपनी उत्तेजना को रोकने का अभ्यास करना सीख लें।
दूसरा चरण- इस क्रिया में लिंग को कुछ इस तरीके से पकड़ना चाहिए कि हाथ का संपर्क लिंग के साथ बना रहे। अगर हो सके तो लिंग पर कोई सा तेल आदि भी लगा लें ताकि संवेदना मुखरित हो सके। मन में इस तरह की कल्पना करें कि आप किसी सुंदर स्त्री के साथ संभोग क्रिया कर रहे हैं। यह तेल इस लिए लगाया जा रहा है ताकि आपको यह महसूस हो कि आप स्त्री की योनि में घर्षण कर रहे हैं। इस क्रिया को करने से संभवतः स्खलन देरी से होता है और इस व्यायाम के हर चरण का अभ्यास पूरा करने के लिए 1 सप्ताह या उससे ज्यादा का समय लग सकता है।

शीघ्रपतन का उपचार
जब आप शीघ्रपतन से पीड़ित हों, तो यह ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि वह हर स्थिति में इलाज से ठीक हो जाता है और इसके सबसे गंभीर मामले भी लाइलाज नहीं हैं। इस समस्‍या को भी एक आम शारीरिक परेशानी की तरह लें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप शांत रहते हुए समस्या का तुरंत इलाज कराएं। आम तौर पर बिना इलाज कराए आप जितना अधिक समय बिताएंगे, समस्या उतनी ही उलझती जाएगी और उसका इलाज उतना ही कठिन होता जाएगा। शीघ्रपतन सभी पुरुषों को एक ही जैसे पीड़ित नहीं करता है। जो व्यक्ति स्त्री योनी में प्रवेश करने के पूर्व वीर्य स्खलन करता हो, और जो व्यक्ति संभोग क्रिया के पूरा हो जाने बाद वीर्य स्खलन करता हो, दोनों में एक ही प्रकार की समस्या नहीं है। इसलिए शीघ्रपतन का इलाज भी अलग-अलग होता है और वह शीघ्रपतन के प्रकार के अनुरूप होता है। होमियोपैथी में शीघ्रपतन का कारगर इलाज है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शीघ्रपतन के अलग-अलग लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज किया जाए तो बीमारी पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है।


होम्योपैथिक औषधियां:
टेर्नेरा(डेमियाना), कोनियम, एसिड फॉस, सेलिक्स नाईग्रा, केलेडियम, सेलिनियम, विथानिया सोम्निफ़ेरा, य्होमबिनम, लाईकोपोडियम, बुफ़ो-राना आदि लक्षणानुसार लाभप्रद है। यह दवायें केवल उदहारण के तौर पर दी गयी है। कृपया किसी भी दवा का सेवन बिना परामर्श के ना करे, क्योकि होम्योपैथी में सभी व्यक्तियों की शारीरिक और मानसिक लक्षण के आधार पर अलग -अलग दवा होती है।

(टिप- यह जानकारी सिर्फ संदर्भ के लिये दि गयी कोई भी दवा लेने से पूर्व डॉक्टर कि सलाह आवश्यक है)

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Contact- (+91) 9730553554
Kesula Homeo Clinic
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