Sunday, 1 April 2018

How To Decrease Creatinine Level ( क्रिएटिनिन के बढे हुए लेवल को कैसे कम करे )


क्रिएटिनिन (creatinine) का बड़ा हुआ लेवल किडनी सम्बंधित बीमारी या समस्याओं की ओर इशारा करता है। क्रिएटिनिन, प्रत्येक व्यक्ति के रक्त में पाया जाने वाला एक रद्दी उत्पाद (waste product) होता है। सामान्य स्थिति में आपकी किडनी को इसे छानकर आपके शरीर से बाहर निकाल देना चाहिये। परन्तु कुछ स्वास्थ्य सम्बंधित समस्यायें किडनी के इस कार्य में बाधा पहुंचाती हैं जिसके कारण क्रिएटिनिन बाहर नहीं निकल पाता है और रक्त में इसका स्तर बड़ने लगता है। ऐसे बहुत से तरीके हैं, जैसे कि आहार में परिवर्तन, जीवन शैली में कुछ बदलाव, दवा लेना और मेडिकल थेरैपी में भाग लेना, जिनसे आप बढ़े हुए क्रिएटिनिन लेवल को घटा सकते हैं।


क्रिएटिनिन को समझना

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क्रिएटिनिन क्या है यह जानें: क्रियेटिन, जो कि एक मेटाबोलिक पदार्थ है, भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिये सहायता देते समय टूट कर क्रियेटिनन (जो एक वेस्ट पदार्थ होता है) में बदल जाता है।
  • आमतौर से आपकी किडनी क्रियेटिनन को छानकर रक्त से बाहर निकाल देती है। उसके बाद, यह वेस्ट पदार्थ मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है।
  • हाइ क्रिएटिनिन लेवल आपकी किडनी के समस्याग्रस्त होने का संकेत हो सकता है।
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जाँच का मतलब समझें: क्रिएटिनिन की जाँच से यह पता चलता है कि आपके रक्त में कितनी मात्रा में क्रिएटिनिन उपस्थित है।
  • आपके डाक्टर द्वारा क्रिएटिनिन क्लियरेन्स टेस्ट (creatinine clearance test) करवाया जा सकता है जो यह बताता है कि आपके मूत्र में कितनी मात्रा में क्रिएटिनिन है। क्रिएटिनिन की मात्रा आपके रक्त में कम और मूत्र में अधिक होना चाहिये।
  • इस तरह के जाँच आपके किडनी के स्वास्थ्य का मात्र एक छाया-चित्र (snapshot) दिखाते हैं। ये जाँच परिणाम, पिछले 24 घण्टे में एक बार लिये गये रक्त और मूत्र के नमूने में उपस्थित, क्रिएटिनिन की मात्रा को दर्शाते हैं।
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जाँच का विश्लेषण करें: क्रिएटिनिन लेवल की नॉर्मल रेंज इस बात पर निर्भर करती है कि आप कौन हैं, एक वयस्क पुरुष, वयस्क महिला, टीनेजर या बच्चा। आपमें क्रिएटिनिन की मात्रा कितनी होनी चाहिये यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी उम्र कितनी है और आकार कितना बड़ा है लेकिन कुछ साधारण रेन्ज हैं जिसमें आपको रहना चाहिये।
  • नॉर्मल ब्लड क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार हैं:
    • पुरुष: 0.6 to 1.2 mg/dL; 53 to 106 mcmol/L
    • महिला: 0.5 to 1.1 mg/dL; 44 to 97 mcmol/L
    • टीनेजर्स: 0.5 to 1.0 mg/dL
    • बच्चे: 0.3 to 0.7 mg/dL
  • नॉर्मल मूत्र क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार हैं:
    • पुरुष: 107 to 139 mL/min; 1.8 to 2.3 mL/sec
    • महिला: 87 to 107 mL/min; 1.5 to 1.8 mL/sec
    • 40 वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति के लिये: प्रत्येक 10 वर्ष की वृद्धि के बाद लेवल्स को 6.5 mL/min की दर से घटना चाहिये।
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क्रिएटिनिन लेवल्स क्यों बढ़ते हैं यह जानिये: आपके क्रिएटिनिन लेवेल्स बढ़ने के बहुत से कारण होते हैं; जिनमें से कुछ अन्य की तुलना में ज्यादा गम्भीर होते हैं लेकिन आपको बस इतना ही करना है कि आप ऐसे कदम उठायें जिससे आपका क्रिएटिनिन लेवल नॉर्मल रेन्ज में वापस आ जाये।
  • रीनल फेल्योर या इम्पेयरमेण्ट (Renal failure or impairment): यदि आपकी किडनी डैमेज हो चुकी हैं तो वे ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन (Glomerular filtration) के द्वारा क्रिएटिनिन को छानकर आपके शरीर से बाहर उस तरह से नहीं निकाल सकते हैं जैसे सामान्यतया वे करते है। किडनी से छनित द्रव के बाहर निकलने की क्रिया को ग्लोमर्युलर फिल्ट्रेशन कहते हैं।
  • मांस-पेशियों की क्षति: यदि आपकी मांस-पेशियों क्षतिग्रस्त हैं तो टूटे हुए टिशूज आपके ब्लड-स्ट्रीम में मिल जाते हैं और फिर आपकी किडनी को कुप्रभावित करते हैं।
  • ज्यादा मीट खाने से: आपके आहार में पके हुए मीट की अधिकता होने से भी आपके शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ सकती है।
  • हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism): आपके थायराइड में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी आपके किडनी के कार्य को कुप्रभावित कर सकता है। हाइपोथायराइडिज्म आपके किडनी की, वेस्ट पदार्थों को सुचारु रूप से, फिल्टर करने की क्षमता को घटा सकता है।
लक्षण
अक्सर कुछ लोगो की आँखों के नीचे सूजन आ जाती हैं, जो कि किडनी के कार्य में रुकावट आने का संकेत होता हैं। इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
· आँखों के नीचे सूजन आना
· हाथ-पैरों में और चेहरे पर सूजन आना
· थकान लगना
· सांस लेने में तकलीफ होना
· कमजोरी लगना
· भूख कम लगना
· वजन कम होना
· रात में बार-बार पेशाब आना
· पेशाब में खून आना
· पेशाब की मात्रा कम या ज्यादा होना
· रक्त की कमी होना (Anemia)
· नींद ठीक से ना होना


आहार में परिवर्तन


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सोडियम को नियंत्रित मात्रा में लें: अधिक मात्रा में लिया जा रहा सोडियम, शरीर में फ्लड (fluid) को, स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाले स्तर तक, एकत्रित करने लगता है जिससे उच्च रक्त-चाप (high BP) होने लगता है। इन दोनों कारणों से क्रिएटिनिन लेवल बढ़ सकता है।
  • कम सोडियम वाला आहार लें। जिन खाद्य पदार्थों और पेय में नमक ज्यादा हो जैसे प्रोसेस्ड फ़ूड (processed food ) उनसे दूर रहें और उनके स्थान पर कम सोडियम युक्त प्राकृतिक आहार, जब भी उपलब्ध हों, लें।
  • आपको अधिक से अधिक 2 से 3 ग्राम नमक प्रतिदिन लेना चाहिये बशर्ते कि आप इससे भी कम नमक न ले रहे हों।

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अपने द्वारा लिये जा रहे प्रोटीन पर भी ध्यान दें: यथासम्भव, उन खाद्य पदर्थों से परहेज करें जिनमें प्रोटीन ज्यादा मात्रा में उपलब्ध होता है। रेड मीट (red meat) तथा डेयरी प्रोडक्ट्स आपके लिये विशेष रूप से हानिकारक हो सकते हैं।
  • आहार के माध्यम से प्राप्त होने वाला क्रिएटिनिन, आमतौर से एनिमल प्रोडक्ट्स से प्राप्त होता है। वैसे तो इनसे प्राप्त होने वाली मात्रा हानिकारक नहीं होती है परंतु यह उन लोगों के लिये समस्या बन सकता है जो पहले से ही असामान्य रूप से बढ़े हुए क्रिएटिनिन लेवल से ग्रस्त हैं।
  • याद रखें कि आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा का स्तर बनाये रखने के लिये और शारीरिक क्रियाओं के निर्बाध रूप से चलते रहने के लिये आपके आहार में प्रोटीन का होना अत्यंत आवश्यक होता है, इसलिये अपने आहार में से प्रोटीन को एकदम से खत्म न करें।
  • जब भी आप प्रोटीन लें इस बात का प्रयास करें कि यह प्राकृतिक स्त्रोतों जैसे नट्स तथा अन्य लेग्यूम्स (दालों) से प्राप्त किया गया है।
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अधिक फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज करें: आपके किडनी को अधिक फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों के प्रोसेसिंग में अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है विशेषकर तब, जबकि आपका क्रिएटिनिन लेवल पहले से ही बढ़ा हुआ हो। इसलिये आपको निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से बच कर रहना चाहिये:
  • कद्दू और स्क्वाश (squash), चीज़ (cheese), मछली, शेलफिश (shellfish), नट्स (nuts), 
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    पोटैशियम को को सीमा के अंदर लें : जब भी आप किडनी की समस्या को हल कर रहे हों तो अधिक पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज करें क्योंकि यदि आपकी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही हैं तो आपके शरीर में अधिक मात्रा में पोटैशियम एकत्रित हो जायेगा। ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें पोटैशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है उनके नाम निम्नलिखित है:
    • ड्रायड फ्रूट्स, केले, पालक, आलू, बीन्स और मटर।
    • लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स तथा सोयाबीन्स।
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क्रिएटिन (creatine) सप्लीमेण्ट्स से दूर रहें: चूंकि क्रिएटिनिन, क्रिएटिन का एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है इसलिये क्रिएटिन-सप्लीमेण्ट्स लेने से आपके रक्त में अधिक मात्रा में क्रिएटिनिन एकत्रित होने लगेगा।
  • किसी सामान्य व्यक्ति के लिये यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। यदि आप एक ऐथलीट या बॉडी-बिल्डर हैं और अपने परफारमेन्स को सुधारने के लिये न्युट्रिशनल सप्लीमेण्ट्स ले रहे हैं तो भी इन सप्लीमेण्ट्स में यदि क्रिएटिन है तो उसे छोड़ना पड़ेगा।

दवायें लेना


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अपने डाक्टर से कुछ खास दवाओं को रोकने के बारे में पूछें: कुछ दवायें ऐसी होती हैं जिनका सम्बंध हाई क्रिएटिनिन लेवेल्स से होता है। दवायें जो किडनी को हानि पहुंचा सकती हैं वो तो एक सम्भावित खतरा होती ही हैं लेकिन कुछ दवायें जो किडनी के इलाज़ के लिये प्रयोग की जाती हैं वो भी समस्या पैदा कर सकती हैं।
  • यदि आपको पहले से ही किडनी की समस्या है तो आइब्यूप्रोफेन (ibuprofen) जैसी दवाओं से सावधान रहिये क्योंकि इनके नियमित प्रयोग से किडनी को और अधिक हानि पहुंच सकती है।
  • एस इनहिबिटर्स (ACE inhibitors) और साइक्लोस्पोरीन (cyclosporine) ये दोनों ही किडनी की बीमारी के इलाज़ के लिये प्रयोग किये जाते हैं लेकिन ये क्रिएटिनिन लेवेल्स को बढ़ा भी सकते हैं।
  • कुछ न्युट्रिशनल सप्लीमेण्ट्स जैसे कि वैनेडियम (vanadium) भी क्रिएटिनिन लेवल को बढ़ा सकते हैं इसलिये उनसे परहेज करना चाहिये।
  • किसी भी दवा के प्रयोग को बंद करने से पहले अपने डाक्टर से सलाह अवश्य कर लें। इसका कारण ये है कि कुछ दवायें भले ही क्रिएटिनिन लेवल को बढ़ा सकती हैं परंतु जिस बीमारी के इलाज़ के लिये उनका सेवन शुरू करवाया गया था उसमें उनके द्वारा पहुंचने वाला लाभ इतना अधिक होता है कि डाक्टर उसे रोकने की अनुमति नहीं देते हैं।
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लाभकारी दवाओं और सप्लीमेण्ट्स के बारे में जाने: आपके क्रिएटिनिन लेवेल्स के बढ़ने की वजह तथा आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आपका डाक्टर क्रिएटिनिन लेवल को घटाने के लिये कुछ दवायें और सप्लीमेण्ट्स लेने की सलाह दे सकता है।
  • बहुत सी दवायें जो क्रिएटिनिन लेवल्स के उपचार में काम आती हैं वो लेवल बढ़ने के कारण का भी इलाज़ करती हैं, इसलिये आपके डाक्टर को आपके लिये दवा का चयन करने से पहले क्रिएटिनिन लेवल के बढ़ने के पीछे के कारण को डायग्नोज़ करना पड़ेगा।

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हाइपोग्लाइसीमिक दवायें लें: किडनी डैमेज और क्रिएटिनिन लेवेल्स के बढ़ने के पीछे के एक आम कारण मधुमेह है। यदि आपको मधुमेह है तो इनसुलिन लेवेल्स को निर्धारित सीमा में रखना महत्वपूर्ण होता है जिससे किडनी को और अधिक हानि पहुंचने से रोका जा सके। कुछ ऐसी दवायें हैं जिन्हें आप इस कार्य के लिये ले सकते हैं।
  • रेपाग्लिनाइड (Repaglinide) एक आमतौर से प्रेस्क्राइब की जाने वाली हाइपोग्लाइसीमिक ड्रग (hypoglycemic drug) है। इस दवा की प्रारम्भिक डोज़ आमतौर पर 0.5mg होती है जिसे हर बार भोजन शुरू करने से पहले लेना होता है। इसका अधिकतम डोज़ 4mg होता है और इसे भी हर बार भोजन शुरू करने से पहले लेना होता है। भले ही आप किसी एक समय का भोजन न लें परंतु तब भी इस दवा को लेना महत्वपूर्ण होता है।
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अपने रक्त-चाप को दवाओं से नियंत्रित करें: मधुमेह के अतिरिक्त उच्च रक्त-चाप भी एक अन्य कारण होता है जो किडनी को हानि पहुंचा सकता है। रक्त-चाप को नियंत्रित रखने से किडनी को और नुकसान नहीं होता है और इस तरह क्रिएटिनिन लेवेल्स को घटाने में भी मदद मिलती है।
  • आपका डाक्टर बेनाज़ेप्रिल (benazepril) और हाइड्रोक्लोरोथायाज़ाइड (hydrochlorothiazide) प्रेस्क्राइब कर सकता है। बेनाज़ेप्रिल का सामान्य डोज़ आमतौर से प्रतिदिन 10 से 80mg के बीच होता है। हाइड्रोक्लोरोथायाज़ाइड का सामान्य डोज़ प्रतिदिन 12.5 से 50 मिग्रा के बीच होता है। 
होमिओपॅथिक ट्रीटमेंट 

होम्योपथी में किडनी रोग के लिए बहुत सारी मेडिसिन हैं, जो रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण देख कर दी जाती हैं। इनमें से कुछ मेडिसिन के बारे में जानकारी दे रहा  हूँ। किडनी रोग एक गंभीर रोग है, जिसमें सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। अत: स्वयं इलाज करने की चेष्टा ना करें।
ऐपिस-मेलिफिका (Apis-Mel) 
पूरे शरीर में सूजन रहती है, खास कर चेहरे और आँखों पर सूजन रहती है। पेशाब में रुकावट होती है जिससे बार-बार पेशाब जाने की चाह होती है, परन्तु पेशाब कम मात्रा में आता है। प्यास नहीं लगती है। पसीना नहीं आता है। पेशाब में जलन होती है। पेशाब में एल्ब्यूमिन की मात्रा बढ़ जाती है। रोगी को गर्मी सहन नहीं होती है। कभी-कभी पेशाब बिल्कुल बंद हो जाता है। सिर, कमर और हाथ-पैरो में दर्द रहता है। पेशाब में झाग और बदबू आते हैं।
कैंथेरिस (Cantharis)
पेशाब में जलन के साथ खून जाता हैं। पेशाब बूंद-बूंद कर होता है। बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है, कभी-कभी तो दो-दो मिनिट बाद ही जाना पड़ता है। पेशाब करने के पहले, करते समय और बाद में काटता हुआ दर्द होता हैं। जलन होती हैं। नेफ्राइटिस (Nephritis/किडनी की सूजन)।
प्लंबम-मेट (Plumbum-Met)
पेशाब बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। पेशाब की स्पेसिक-ग्रैविटी कम होती है। पेट में तेज दर्द होता हैं। ये दवा किडनी रोग को बढ़ने से रोकती हैं। यह क्रोनिक इंटरस्टिसिअल नेफ्राइटीस (Chronic Interstitial Nephritis) नामक बीमारी (जिसमें किडनी के ट्यूब (kidney tubules) के बीच में सूजन आ जाती हैं) में उपयोगी है।
बरबेरिस-वल्गेरिस (Berb-Vulg)
पेशाब  करने में जलन होती है। पेशाब करने के बाद ऐसा लगता है मानो अभी कुछ पेशाब ब्लेडर में ही रह गया है। पथरी का भयंकर दर्द होता हैं। पेशाब में यूरिक-ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है। पेशाब में पस-सेल और म्यूकस पाया जाता है। पेशाब करते समय जांघो में दर्द होता है। दर्द पीठ से ले कर आगे पेट तक आता है।
ऐपोसाइनम (Apocynum)
प्यास बहुत ज्यादा लगती है। पेशाब कम आता है, जिससे पूरे शरीर में सूजन रहती है। बेचैनी रहती है। बहुत ज्यादा उल्टी होती है।
टेरीबिन्थ (Terebinth)
पेशाब में मीठी सी गंध आती है। पेशाब बूंद-बूंद आता है जिसमें खून आता है और जलन होती है। ये ब्राइट-डिजीज, नेफ्राइटीस, ऐल्बुमिनोरिया आदि किडनी के सभी रोगों में बहुत उपयोगी है। पीठ में किडनी की जगह धीमा-धीमा दर्द होता हैं। चलने-फिरने से तकलीफ कम होती है। गहरे रंग का धुआं छोड़ने वाला पेशाब आता है। ये किडनी रोग के प्रथम स्टेज में उपयोगी है।
कोपेवा (Copaiva)
यह खास कर महिलाओं की किडनी या पेशाब की समस्या के लिए उपयोगी है। पेशाब करते समय जलन होती है। बूंद-बूंद करके पेशाब आता है। पेशाब करने की लगातार इच्छा होती हैं परन्तु पेशाब नहीं आता। बदबूदार पेशाब आता है।
नोट-  होम्योपथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी पोटेंसी, डोज आदि उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें। 

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1 comment:

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